Rumored Buzz on baglamukhi sadhna

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ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय।

मेरा उन साधको के लेया यह जवाब है कोई भी महाविद्या करने से पहले आप उस महाविद्या के बारे में आप ज्ञान हासिल करो । फिर उन की साधना बारे में आप को पता चल जाएगा कोण सी महाविद्या साधना आप के लिए उचित है । वैसे तो हर महाविद्या अपने आप में पूर्ण है

अत: श्रीबगला माता को तामस मानना ठीक नहीं है। आभिचारिक कृत्यों में रक्षा की ही प्रधानता होती है। यह कार्य इसी शक्ति द्वारा निष्पन्न होता है। इसीलिए इसके बीज की एक संज्ञा ‘रक्षा-बीज’ भी है (देखिए, मन्त्र-योग-संहिता)-

शिव-भूमि-युत शक्ति-नाद-विन्दु-समन्वितम्।

The Tantrasara describes her iconography: Bagalamukhi sits inside of a golden throne in the midst of an ocean in an altar. Her complexion is yellow (golden). Clad in yellow outfits, she's adorned by a garland of yellow bouquets and decked with yellow (golden) ornaments.

The which means of Keeping this tongue with the goddess is that the goddess is worshiped for supplying and receiving speech energy. In many places, the Goddess has made the dead physique or dead entire body as her seat and is also mounted within the dead overall body itself and retains the tongue from the demon or enemy.

सर्वप्रथम, देवी को अनामिका से (कनिष्ठिका के समीप की उंगली से) चंदन लगाएं । इसके उपरांत दाएं check here हाथ के अंगूठे और अनामिका के बीच चुटकी भर पहले हलदी, फिर कुमकुम भगवती के चरणों में अर्पित करें।

‘सुभूता’ आनन्दार्थ अनेक रूपों में आविर्भाव होनेवाली।



पर फिर भी के लेया जो स्पेशल है आप की विशेष मनोकामना के लिए । इस के लेया आप हमारे दस महाविद्या पर वीडियो आने वाले है । आप वो जरूर देखे आप पता चल जाएगा । आप को कोण सी साधना करनी है । अभी के लेया मैं कमला महाविद्या पर जनक्रारी उपलब्द है । आप वो वीडियो देखो बाकी की जानकारी के लेया हमारे चैनल के साथ जुडो 

बगलामुखी अपने उपासक के दुश्मन को गतिहीन बना देती है। सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाली महाशक्ति देवी उपासक के शत्रुओं के कार्यों और उनके वाचन के संदर्भ में लगाम लगाने का आशीर्वाद देती है।

मंगलवार और रविवार रात्रि विशेष भगवती बगलामुखी का प्रयोग होता है। जो भी अपनीं समस्याओं का निदान हेतु व हवन, पूजन, प्रयोग, और विशेष विघान हेतु आते हैं, माँ भगवती उनकी हरेक मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। यहाँ दैत्य गुरू शुक्राचार्य तपोभूमि पर स्थित माँ बगलामुखी साघना पीठ मंदिर परिसर भक्तों के लिए विशेष मंगलवार रात्रि को पूर्ण रात्रि खूला रहता है। जजमान यहाँ उपस्थित आचार्यों से अपनी समस्या-सम्बन्धित संकल्प देकर पूजा, पाठ, यज्ञ, प्रयोग, देवी अभिषेक, ध्वज आदि विघान व तांत्रिक प्रयोग कराते हैं।

श्रीबगला विद्या का बीज पार्थिव है-‘बीजं स्मेरत् पार्थिवम्’ तथा बीज-कोश में इसे ही ‘प्रतिष्ठा कला’ भी कहते हैं।

I've commented what i know Based on my know-how. So Ashok ji please confirm and inform us that it's ह्लृीं or हृीं or else, the two these beejas can be used in bagalamukhi mantra. Thanks.

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